प्रो.संजीव कुमार शर्मा बता रहे हैं कि इस भारतीयकरण और आधुनिकीकरण से शीघ्र ही हमारा न्याय विधान भी अपने अमृतकाल में प्रवेश करेगा। मानव सभ्यता के उषा काल से ही मनुष्यों के मध्य अंतर्संबंधों सीमाओं मर्यादाओं तथा व्यवस्थाओं के निर्माण के लिए सामूहिक सहमति आधारित प्रविधान किए जाते रहे हैं। प्रशासनिक रूप से ‘राज्य’ नामक संस्था के उदय और विकास ने मनुष्यों के मध्य आपसी व्यवहार के नियम बनाए।