सनातन धर्म शास्त्रों में निहित है कि इस व्रत को मां सती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए सबसे पहले किया था। इस व्रत के पुण्य प्रताप से मां सती और देवों के देव महादेव परिणय सूत्र में बंधे थे। धार्मिक मत है कि कोकिला व्रत करने से विवाहित महिलाओं के सुख सौभाग्य और वंश में वृद्धि होती है।