एम्स के त्वचा रोग विभाग की एडिशनल प्रोफेसर डॉ. कनिका साहनी ने कहा कि यह ऑटोइम्यून की बीमारी है। शरीर का मेलानोसाइट्स प्रभावित होने से मेलेनिन नहीं बन पाने से त्वचा सफेद हो जाती है। इस बीमारी को लेकर बहुत भ्रांतियां हैं। यह छूत की बीमारी नहीं है। इस बीमारी का इलाज भी संभव है लेकिन उसका असर धीरे-धीरे होता है।