हत्या के मामले में दो व्यक्तियों को 26 साल बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए उनकी दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को रद्द कर बरी कर दिया। अपीलकर्ताओं को बरी करते हुए न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत व न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ ने कहा कि अपीलकर्ताओं को केवल इसलिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है क्योंकि उन्हें मृतक के साथ आखिरी बार देखा गया था।