उन्होंने कहा कि हाल के भू-राजनीतिक पावरप्ले ने प्रदर्शित किया है कि जहां राष्ट्रीय हित का सवाल उठता है तो देश युद्ध से पीछे नहीं हटते। उन्होंने कहा कि किसी राष्ट्र का समग्र विकास तब ही कहा जा सकता है जब उसकी राष्ट्रीय शक्ति में उल्लेखनीय और निरंतर वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि जहां आर्थिक शक्ति राष्ट्र के विकास का स्त्रोत है वहीं वह सैन्य ताकत भी होती है।