न्यायाधीश दीपांकर दत्ता ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि हर संभव मोर्चे पर भारत की प्रगति को बदनाम करने कम करने और उसे कमजोर करने की कोशिश की जा रही है और ऐसी किसी भी कोशिश को शुरू में ही रोकना होगा। उन्होंने कहा कि तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर पेपर बैलेट सिस्टम पर लौटने का सवाल ही नहीं उठता और न ही उठ सकता है।