देवी रुक्मिणी विदर्भ देश के राजा भीष्मक की पुत्री थीं। एक समय की बात है जब पिता भीष्मक अपनी पुत्री के लिए सुयोग्य वर की तलाश कर रहे थे। उस दौरान उनसे मिलने कोई भी शख्स आता तो वो श्रीकृष्ण के साहस और वीरता की बखान करता जिसे सुनकर देवी रुक्मिणी ने उन्हें मन ही मन में अपना पति (Devi Rukmini Vivah Katha) मान लिया था।