भगवान का निर्गुण निराकार रूप सगुण की तुलना में अत्यंत सुलभ है पर जब वही निर्गुण सगुण हो जाता है तो उसके कार्य और लीलाओं में व्यापकता देख पाना ज्ञानियों के लिए भी संभव नहीं हो पाता है। श्रीराम के मनुष्य रूप में अवतार की महानता यह है कि उन्होंने मिट्टी में खेलकर वनवास स्वीकार कर राक्षसों से युद्ध कर भी अपने रामत्व और ईश्वरत्व को हिलने-डुलने नहीं दिया।